माहे रमजान में जारी है इबादत का सिलसिला, नमाज में बड़ी तादाद में जुट रहे इबादत गुजार

रमदान अल मुबारक, 1446 हिजरी 


फरमाने रसूल ﷺ

"अल्लाह ताअला फरमाता है: मेरा बंदा फर्ज़ नमाज़ अदा करने के बाद नफिल इबादत करके मुझसे इतना नज़दीक हो जाता के मैं उससे मोहब्बत करने लग जाता हूँ।"
- सहीह बुख़ारी

रमजान का दूसरा अशरा शुरू, जगह हो रहा इफ्तार का इंतजाम

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✅ नई तहरीक : भिलाई

रमजान के मुबारक महीने में इबादत का सिलसिला जारी है। मआशरे के लोग रोजा रख रहे हैं और वक्त की पाबंदी के साथ नमाज भी अदा कर रहे हैं। रोजा रख कर जहां लोग भूख और प्यास की शिद्दत को महसूस कर अपने रब को याद कर रहे हैं वहीं जगह-जगह तरावीह भी अदा की जा रही है। लोग घरों से लेकर मस्जिदों तक में तरावीह की नमाज अदा कर रहे हैं। शहर की तमाम मस्जिदों में शाम के वक्त इफ्तार के खास इंतजाम किए जा रहे हैं इसके अलावा इज्तिमाई व निजी तौर पर भी लोग इफ्तार का इंतेजाम कर रहे हैं। 

तरावीह में सुनाई जाती है मुकम्मल कुरआन : डॉ. सैयद इस्माइल

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    माहे रमजान के दौरान पढ़ी जाने वाली खास नमाज तरावीह के मुताल्लिक इस्लामिक मामलों के जानकार और भिलाई स्टील प्लांट से रिटायर्ड खुर्सीपार के रहवासी डॉ. सैयद इस्माइल ने बताया कि तरावीह की नमाज सुन्नत है। सुन्नत उसे कहा जाता है, जो पैगंबर हजरत मोहम्मद 000 को पसंद थीं। तरावीह भी सुन्नत-ए-मोअक्कदा है, यानी ये नमाज फर्ज नहीं है लेकिन पैगंबर हज़रत मोहम्मद 000 तरावीह पढ़ा करते थे, इसलिए उम्मत भी इसे खुसू व खुजू के साथ अदा करती है। इस खास नमाज में 26 रमजान के पहले मुकम्मल कुरआन सुनाया जाता है। तरावीह के बाद आवाम को अल्लाह के पैगाम, जो हजरत मोहम्मद 0  के जरिए दिए गए, समझाया जाता है। 

सुधरती है जिस्मानी और दिमागी सेहत : मुफ्ती शाहिद

    मदरसा ताजुल उलूम, रुआबांधा के प्रिंसिपल मुफ़्ती मुहम्मद शाहिद अली मिस्बाही बताते हैं कि रोज़ा न सिर्फ रूहानी बल्कि जिस्मानी और दिमागी सेहत के लिए भी फायदेमंद है। मुफ्ती शाहिद बताते हैं, रोज़ा जिस्म की कैलोरी जलाने और वसा कम करने में मदद करता है। यह वजन घटाने और मोटापे को मैनेज करने का एक असरदार तरीका है। रोज़ा इंसुलिन हस्सासियत में सुधार करता है और ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है। यह शूगर के खतरे को कम करता है। रोज़ा कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को कम करके कल्बी सेहत में सुधार कर सकता है। यह कल्ब के मर्ज के खतरे को कम करता है।
    मुफ्ती शाहिद बताते हैं कि रोज़ा हाजमा को आराम देता है और इसे बेहतर ढंग से काम करने में मदद करता है। यह कब्ज और हाजमा की दीगर परेशानियों से छुटकारा दिलाता है। जिस्म को डिटॉक्सिफाई करता है। मुफ्ती शाहिद कहते हैं रोज़ा रखने के और भी बहुत से जिस्मानी और दीमागी फायदे हैं।

मस्जिदों और घरों में हो रही है तरावीह 

    मर्कज़ी मस्जिद, पावर हाउस, कैंप 2 में इमाम व हाफ़िज़ कासिम बस्तवी कुरान मजीद सुना रहे हैं। यहां ईशा की नमाज रात 8.15 बजे और तरावीह 8.30 बजे हो रही है। मस्जिद आयशा हाउसिंग बोर्ड में मौलाना इनामुल हक तरावीह पढ़ा रहे हैं। मरकज सुपेला मस्जिद नूर में मुफ्ती सोहेल साहब तरावीह पढा रहे हैं। यहां  ईशा 8.15 बजे तरावीह 8.30 बजे हो रही है। फरीद नगर मदनी मस्जिद में ईशा की नमाज 8.15 और तरावीह 8.30 मौलाना दिलशाद और हाफ़िज़ शाह आलम पढ़ा रहे हैं। अय्यप्पा नगर मस्जिद अबू बकर में हाफ़िज़ इश्तियाक पढ़ा रहे हैं। यहां ईशा 8.00 बजे और तरावीह 8.15 हो रही है। जामा मस्जिद जामुल में हाफ़िज़ अहमद पढ़ा रहे हैं। यहां ईशा 8.00 बजे और तरावीह 8.15 बजे हो रही है। एकता नगर, भिलाई-3 में ईशा 8.30 बजे और तरावीह 8.45 हाफ़िज़ मुकर्रम और हाफ़िज़ मोइनुद्दीन पढ़ा रहे हैं। पेट्रोल पंप भिलाई-3 में ईशा 8.15 बजे और तरावीह 8.30 बजे हो रही है। हाफ़िज़ शाहनवाज और हाफ़िज़ अताउल्लाह नमाज़ अदा करा रहे हैं। मस्जिद अक्सा, चरोदा में ईशा 8.45 बजे और नमाज़ तरावीह 9 बजे हो रही है। नमाज़ हाफ़िज़ सुफियान साहब पढा रहे हैं। सेक्टर-1 में मौलाना जुनैद तरावीह पढ़ा रहे हैं। यहां नमाज़ 8.15 बजे हो रही है।  इसी तरह हाफ़िज़ रेहान सुपेला में नमाज पढ़ा रहे हैं।


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