शव्वाल उल मुकर्रम, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
"जो कोई नजूमी (ज्योतिश) के पास जाए फिर उससे कुछ पूछे तो उसकी चालीस रात की नमाज़े क़ुबूल न होगी।"
- मुस्लिम
सफर-ए-हज पर रवाना होने वाले आजमीन के लिए ट्रेनिंग कैंप मुनाकिद
✅ नई तहरीक : भिलाई
मरकज सुपेला मस्जिद, नूर सुपेला की ओर से इस साल हज पर जाने वाले हुज्जाजे कराम के लिए तरबीयत कैंप, इतवार की दोपहर फरीद नगर में मुनाकिद किया गया जहां मुफ्ती मोहम्मद इमरान और मुफ्ती फैयाज ने हज के दौरान अदा किए जाने वाले अरकान को आसान तरीके से समझाया।
इस दौरान आजमीन-ए-हज को मुफ्तियान कराम ने बताया कि हैसियत वालों पर जिंदगी में एक बार हज फ़र्ज़ है। अपने घरवालों पर खर्च करने के बाद इतनी रकम हो कि हज पर जा सकें तो जब अल्लाह मौका दे, तो हज जरूर अदा करें। उलेमा ने उनसे कहा कि सफर पर रवाना होने से पहले अपना दिल हर एक से साफ कर लें। किसी से पहले कभी कहा-सुनी हुई है, तो माफी तलाफी कर लें। जहां जा रहे हैं, वो अल्लाह का दुनिया में घर है, पाक-साफ और हर किस्म की बदगुमानी से दिल भी साफ रहे। काबा शरीफ का तवाफ करने के बाद आजमीन-ए-हज की कैफियत बिल्कुल ऐसी हो जाती है जैसे वह आज ही तवल्लुद हुआ है। यानी उसके जिम्मे कोई गुनाह बाकी नहीं रहता। उलेमा ने कहा कि हज पर जाने से कब्ल उसके अरकान के बारे में पूरी मालूमात कर लेने से हर अरकान आसानी से अदा होते हैं।
उन्होंने कहा कि हज पर जाने वाले बहुत मुबारक लोग हैं। वहां हज़रत इब्राहिम, इस्माइल अलैहिस्सलाम की सुन्नत कुर्बानी अदा करना है। मदीने की हाजिरी पर दरूद व सलाम हर वक्त ज़ुबान पर जारी रखें। हजरत मोहम्मद 000 के रोजे मुबारक पर हाजिरी पर सलाम पेश करें। हर वक्त पूरी इंसानियत की हिदायत की दुआ करें। उलेमा ने उमरा और हज के तरीके मसाइल और सुन्नत और वाजिबात से कुरआन और हदीस की रोशनी में बताए। उन्होंने एहराम बांधने का तरीका समझाया। मुफ्तीयान कराम ने बताया कि हज की किस्म और हज के तीन फर्ज है। जिसमें एहराम, नीयत, तलबिया, दो वुकुफे अरफा तीन तवाफे जियारत हज में छह वाजिब है। इसी तरह मुजदलफा की हाजिरी, तीनों शैतानों को कंकरी मारना, कुर्बानी, हलक कराना, हज की सई करना और तवायफें विदा भी शामिल हैं।
उलेमा ने कहा कि जब आप हज से वापस आएंगे तो आपकी जिंदगी में अब अल्लाह का डर के साथ हज़रत मुहम्मद 000 वाली पाकीजा जिंदगी अपनाना और उसके मुताबिक जिंदगी गुजारने और लोगों के साथ हमदर्दी, सिला रहमी और मददगार साबित होना चाहिए।
इस दौरान मस्जिद नूर सुपेला के हाजी नईम अहम, हाजी नैय्यर इकबाल और हाजी अब्दुल हमीद ने बताया कि हर साल हज पर जाने वालों के लिए तरबीयती प्रोग्राम मुनाकिद किया जाता है ताकि लोगों को हज आसान हो सके। आखिर में दुर्ग भिलाई से हज पर जाने वालों को हाजी हमीद की लिखी हिंदी की किताब रहनुमा-ए-हज मुफ्त तकसीम की गई। आखिर में मुल्क में अमन चैन खुशहाली और तरक्की की दुआएं की गई। इस दौरान सैय्यद असलम, हाफिज नसीम, हाफिज अब्दुल मतीन, फैजी पटेल, सुलेमान, अब्दुल जमील, अब्दुल समद, वसीम अहमद समेत आजमीन हज 60 मौजूद थे।
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