मस्जिद उल हराम और मस्जिद नबवी ﷺ में रमज़ान का पहला जुमा, लाखों अफ़राद ने अदा की नमाज़

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 रमदान अल मुबारक, 1446 हिजरी 

   फरमाने रसूल ﷺ  

"अल्लाह ताअला फरमाता है: मेरा बंदा फर्ज़ नमाज़ अदा करने के बाद नफिल इबादत करके मुझसे इतना नज़दीक हो जाता के मैं उससे मोहब्बत करने लग जाता हूँ।"
- सहीह बुख़ारी

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    सऊदी अरब में लाखों जायरीन ने हरमैन शरीफ़ैन में रमज़ान के पहले जुमा की नमाज़ ख़ुशू-ओ-खुजु से अदा की और बेशतर वक़्त दुआओं में गुज़ारा।
    सऊदी न्यूज एजेंसी के मुताबिक़ इदारा उमूर हरमैन की जानिब से मस्जिद उल हराम और मस्जिद नबवी ﷺ में नमाज़-ए-जुमा की अदायगी के लिए मिसाली इंतिज़ामात किए गए थे। इंतिज़ामीया ने मस्जिद उल हराम के अंदर और बैरूनी सेहनों में जुमे को सुबह से ही इंतिज़ामात मुकम्मल कर लिए थे ताकि लोगों को किसी किस्म की दुशवारी का सामना ना करना पड़े और वो आराम व सुकून से नमाज़ अदा कर सकें।
    हरमैन इंतिज़ामीया ने मस्जिद उल हराम और मस्जिद नबवी ﷺ में आने वालों की सहूलत के लिए 11 हज़ार से ज़ाइद कारकुनों को तयनात किया था जो ज़ाइरीन की रहनुमाई करते हुए उन्हें नमाज़ के लिए मख़सूस मुक़ामात की निशानदेही करते रहे। मस्जिद नबवी ﷺ में भी इंतिज़ामीया ने ज़ाइरीन की बड़ी तादाद के पेश-ए-नज़र ख़ुसूसी इंतिज़ामात किए थे।
    मस्जिद नबवी ﷺ के बैरूनी सेहनों, बरामदों और छत पर भी नमाज़ अदा करने के लिए ख़ुसूसी इंतिज़ामात किए गए थे। राहदारियों को ख़ाली रखने के लिए अहकारों को जगह-जगह तयनात किया गया था जिनकी ज़िम्मेदारी थी कि वो गुज़रगाहों पर लोगों को बैठने ना दें।



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