शव्वाल उल मुकर्रम, 1446 हिजरी
﷽
फरमाने रसूल ﷺ
"अल्लाह ताअला फरमाता है: मेरा बंदा किसी और चीज़ के जरिये मुझ से इतना करीब नहीं होता, जितना फर्ज़ इबादत के जरिये होता है।"
- सहीह बुखारी
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File Photo |
नई तहरीक : लवाहिक़ीन (मरने वाले के परिजन) ने क़ातिल को इस शर्त पर माफी दे दी कि वो डेढ़ साल के दौरान ताइफ में मक़्तूल (मृतक) के नाम से एक मस्जिद तामीर कराएगा। मस्जिद की ताअमीर पूरी होने के बाद मस्जिद को वज़ारत मज़हबी उमूर के हवाले कर दिया जाएगा।
सऊदी मीडीया के मुताबिक़ ताइफ की एक फ़ौजदारी अदालत ने कत्ल के एक केस का फ़ैसला सुनाते हुए मक़्तूल के लवाहिक़ीन की तरफ़ से क़ातिल को माफ़ करने की दरख़ास्त मंज़ूर कर ली जिसमें मक़्तूल के लवाहिक़ीन ने ये शर्त रखी कि कातिल मक्तूल के नाम पर डेढ़ साल के दौरान ताइफ में एक मस्जिद तामीर करवाएगा और उसे मुकम्मल करने के बाद वज़ारत मज़हबी उमूर के हवाले कर देगा।
जानकारी के मुताबिक सुनवाई के दौरान फ़रीक़ैन (दोनों पक्षों) के दरमयान अदालत की निगरानी में ये मुआहिदा तै पाया गया। माफ़ी मिलने के बाद क़ातिल की जानिब से मक़्तूल के लवाहिक़ीन और अदालत का शुक्रिया अदा किया गया।
कत्ल कर लाश जलाने वाले को सजा-ए-मौत
दूसरी तरफ़ सऊदी अरब में एक ख़ातून को कत्ल कर उसकी लाश जलाने वाले ग़ैरमुल्की को सज़ा-ए-मौत दे दी गई। ये मामला ममलकत में मुक़ीम एक ग़ैरमुल्की ख़ातून के कत्ल का है जिसे मिस्री शहरी कत्ल कर दिया था और उसकी लाश को जला दिया था। कसूरवार पाए जाने पर मुजरिम को मदीना मुनव्वरा रीजन में सज़ा-ए-मौत दी गई।
इस सिलसिले में सऊदी अरब की वज़ारत-ए-दाख़िला की जानिब से जारी बयान में कहा गया है कि मिस्र के शहरी ने गै़रक़ानूनी तौर पर सऊदी अरब में मुक़ीम एक ग़ैर मुल्की ख़ातून को क़तल करने के बाद वारदात छिपाने के लिए उसकी लाश को जला डाला था हालांकि सिक्योरिटी फ़ोर्स ने मिस्री शहरी को तलाश कर गिरफ़्तार कर लिया था। मज़कूरा शख़्स को फ़ौजदारी अदालत में पेश किया गया जहां उस पर क़तल का इल्ज़ाम साबित होने पर उसे मौत की सज़ा दी गई।
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